- आपका असला काम अपनी जीवात्मा को इस संसार में दुबारा आने, दु:ख झेलने से बचाना है
- गुरु के वचनों को याद करके जब लग जाते हैं तो मन मुखता खत्म और गुरु मुखता आ जाती है
बाहरी औपचारिकताएं करने की बजाय तीज-त्योंहारों से असली पूरा आध्यात्मिक फायदा लेने का तरीका बताने वाले, लोगों में अपनी जीवात्मा को मुक्ति-मोक्ष दिलाने की इच्छा जगाने वाले, बार-बार लगातार लोगों को अपनी जीवात्मा के कल्याण का नित नया मौका देने वाले और उसमें अपनी भरपूर दया भरकर जीव के असला काम को सरल से सरलतम बनाने वाले इस समय के त्रिकालदर्शी समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 3 मई 2022 सायंकाल को दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव ऑनलाइन संदेश में बताया कि तीज-त्यौहार विशेष समय पर मनाए जाते हैं। आज अक्षय तृतीया, आखातीज का त्यौहार लोग मना रहे हैं। कहा जाता है कि आज ही- परशुराम जी का जन्म हुआ, भागीरथी ने लोगों की तृप्ति, जल की आपूर्ति के लिए घोर तपस्या कर गंगा जी को धरती पर उतारा, अन्न का आविष्कार हुआ यानी अन्नपूर्णा देवी का जन्म हुआ, अक्षय पात्र युधिष्ठिर को मिला था तो आज की तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है।
आज के दिन से कोई काम शुरू किया जाता है तो वो हो जाता है पूरा
लोगों की सोच, कहना, अनुभव है कि आज के दिन कोई काम शुरू किया जाता है तो वह पूरा हो जाता है, उसमें रुकावट नहीं आती है। देखो जब से गंगा जी इस धरती पर आई, बराबर पानी मिल रहा है लोगों को। और नदियां सूख जाती हैं लेकिन गंगा का पानी बहता ही रहता है, बराबर पानी देती है जब तक समुंद्र में नहीं मिल जाती। अन्न की ऊपज पहले नहीं होती थी। अन्न प्राणे कलियुगे कहा गया। जब ऋषियों को यह महसूस हुआ कि बगैर अन्न के शरीर ठीक से चल नहीं पाएगा, दिल दिमाग बुद्धि सही नहीं रहेगी तो अन्न की उत्पत्ति हुई। अन्न भी बराबर धरती पर रहता है।
आज की तिथि बहुत महत्वपूर्ण है, आज से अपने असला काम की करो शुरुआत
आज आपको अपने-अपने कार्य को शुरू करना चाहिए और जो पहले शुरू कर चुके हो, उसमें तेजी लानी चाहिए। अपना, जीवात्मा का काम क्या है, ये आपको बताया गया। यह सब जो दुनिया का काम है, अपने काम आने वाला नहीं है। यह तो थोड़े समय का है। थोड़े समय के लिए यह शरीर के ही काम आने वाला है। लेकिन शरीर के अंदर जो परमात्मा की अंश जीवात्मा है उसके काम दुनिया की कोई चीज आने वाली नहीं है।
आपका असला काम अपनी जीवात्मा को इस संसार में दुबारा आने, दु:ख झेलने से बचाना है
अपना काम है कि इस जीवात्मा को इस संसार में अब आने से, दु:ख झेलने से बचाया जाए। इसको अपने घर, वतन, मालिक के पास पहुंचाया जाए। यही इस शरीर के अंदर बैठी जीवात्मा का लक्ष्य है, वही हमको आपको बनाना है। आप आज से शुरू करो। गुरु महाराज से दया मांगो। मन मुखता को खत्म करो, गुरु मुखता लाओ। गुरु को समझने, पहचानने की कोशिश करो। जब आज से आप दूसरे काम की तरफ से ध्यान को हटा करके और जब इस काम में लगोगे तो आज से आपके अंदर भाव प्रेम भक्ति उमड़ेगी। जब यह कहा गया है आज के दिन काम शुरू करने से काम पूरा होता है तो क्या आपका काम रुकेगा? आपका काम भी नहीं रुकेगा। आज के दिन आप प्रेमियों से कहना है की भजन, ध्यान, सुमिरन पर ध्यान दो, शुरुआत करो, लगातार आज से आप करते रहो।
गुरु के वचनों को याद करके जब लग जाते हैं तो मन मुखता खत्म और गुरु मुखता आ जाती है
भाव भक्ति जब तक अच्छी, पक्की नहीं होती, भाव में कुभाव आता रहता है। लेकिन जब दृढता, मजबूती आ जाती है, गुरु पर विश्वास हो जाता है, वचनों को याद करके गुरु की भक्ति यानी उनके आदेश की पालना में जब लग जाते हैं तब मन मुखता खत्म और गुरु मुखता आ जाती है।
सन्त उमाकान्त जी के वचन
दर्शन करते, सतसंग सुनते व नामदान लेते समय हमेशा अपने को नया समझना चाहिए। अच्छे लोगों को नामदान लेते समय ही सतसंग में दिखाई व सुनाई पड़ने लग जाता है। बिना शब्द से जुड़े ऊपरी लोकों के धनियों एवं शक्तियों को नहीं देखा जा सकता है। दसवां द्वार खुलता है तब शब्द सुनाई पड़ता है। अच्छे काम का संकल्प पूरा हो जाता है।
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